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सूरत कोर्ट ने मासूम से दुष्कर्म व हत्या के दोषी को सुनाई फांसी की सजा, 29 दिनों में अदालत ने पूरी की कार्यवाही


 मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखकर दीपावली वाले दिन ढाई साल की मासूम का अपहरण कर दुष्कर्म और बर्बर तरीके से उसकी हत्या के दोषी गुड्डू मधेश यादव को सूरत की पोक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल आफेंसेज) अदालत ने मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई।

अदालत ने इसे अतिदुर्लभ मामला मानते हुए सजा सुनाई। साथ ही सरकार को 20 लाख रुपये का मुआवजा पीड़ित परिवार को देने के भी निर्देश दिए हैं। इस मामले में दोषी और पीड़ित दोनों ही परिवार मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। खास बात यह है कि आरोपित की गिरफ्तारी के 29 दिनों में ही उस पर मुकदमा चलाकर सजा सुना दी गई है।


जांच में सीसीटीवी से मिली मद्द

सूरत के पांडेसरा में रहने वाले एक श्रमिक परिवार की ढाई साल की मासूम चार नवंबर की रात को गायब हो गई थी। शिकायत मिलने पर करीब सौ पुलिसकर्मियों ने 200 सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और इस आधार पर मासूम को कंधे पर लेकर जाते एक व्यक्ति की पहचान की 


इस दौरान सात नवंबर को पुलिस को मासूम का शव पांडेसरा में झाड़ियों में पड़ा मिला। सीसीटीवी फुटेज और तीन प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर पुलिस ने आठ नवंबर को गुड्डू को दबोच लिया था, उसने अपना अपराध कबूल कर लिया था। पुलिस के अनुसार गुड्डू शादीशुदा है और दो बच्चों का पिता है। वह पांडेसरा में ही एक फैक्ट्री में काम करता है।


सेक्स मेनियाक है दोषी

पुलिस को जांच के दौरान दोषी के मोबाइल से 150 पोर्न फिल्में मिलीं। पुलिस ने मोबाइल में अश्लील कंटेंट अपलोड करने वाले मोबाइल शाप मालिक सागर शाह को भी पकड़ा है। पुलिस ने महज सात दिनों में 246 पेज का आरोप पत्र सूरत के पाक्सो कोर्ट में पेश किया तथा 42 लोगों की गवाही पेश की। अदालत ने 29 दिन में सुनवाई पूरी कर ली। गुड्डू को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376ए, 376बी, 363, 366 और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया गया।सरकारी वकील नयन सुखडवाला ने बताया कि उन्होंने इस केस में 31 पुराने मामलों का उदाहरण दिया। मृतक का डीएनए, दाढ़, खून के नमूनों के आधार पर पीड़ित परिवार के साथ उसके संबंध की पुष्टि की गई।


हाई कोर्ट जाएगी फैसले की कापी

सूरत कोर्ट की ओर फांसी की सजा को मान्य कराने के लिए हाई कोर्ट को जजमेंट की कापी भेजी जाएगी। फांसी की सजा के मामले में निचली अदालत को इस प्रक्रिया का पालन करना होता है। सरकारी वकील ने बताया कि गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने इस केस की जांच में पूरी मदद का भरोसा दिया था।


साथ ही सुबूतों व गवाहों को उपस्थिति सुनिश्चित कराने में भी मदद की जिसके चलते 29 दिनों में इसका फैसला हो गया।मालूम हो कि दीपावली के दिन ही ऐसी ही एक घटना गुजरात की राजधानी गांधीनगर में भी हुई थी। उस मामले में अदालत ने दोषी को जीवन की अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाई, लेकिन सरकारी वकील ने मृत्युदंड की मांग करते हुए इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

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