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मोस्ट डिजायरेबल वीमन लिस्ट में शामिल रहीं अभिनेत्री नयना मुके इन दिनों अभिनय के अलावा सामाजिक कार्यों में भी काफी तल्लीन हैं। सिनेमा की चुनिंदा सफल कारोबारी महिलाओं में शामिल नयना मुके की इन कोशिशों, त्याग और कौशल को अब बड़ा सम्मान मिला है। उन्हें इस साल के शी अवार्ड्स में ‘वर्सेटाइल फेस ऑफ द ईयर’ माना गया और इस आयोजन में शिरकत वापस मुंबई लौटीं नयना मुके बताती हैं, ’मेरा ये पुरस्कार मेरे पिता को समर्पित है, ये उन्हीं की वजह से है कि मैंने सामाजिक कार्यों में संलग्न रहने का बीड़ा उठाया। ये मेरे दिवंगत पिताजी की सीखों का ही नतीजा है कि आज में एक कामयाब अभिनेत्री होने के साथ साथ कामयाब कारोबारी महिला भी बन सकी।’
नयना मुके रंगमंच की काबिल अदाकारा हैं। थिएटर में मास्टर्स करने वाली नयना मानती हैं कि अभिनय वही है जो लोगों पर असर छोड़ जाए। वह कहती हैं, ‘मेरा अभिनय जीवन चुनौतियों को स्वीकारने की यात्रा रही है। फिल्म हो, टीवी हो या ओटीटी मैंने चुनौतियों को ही अपने किरदार का परिचय बनाया है। मेरा अपना कारोबार ठीक ठाक चलता है तो मैं अभिनय में अर्थलाभ नहीं देखती हूं। मैं वही किरदार करती हूं जो बतौर अदाकार मुझे थोडा और आगे ले जाए।’
अपने सामाजिक कार्यों को लेकर भी नयना खूब सक्रिय रहती हैं। महाराष्ट्र के सुदूर स्थित गांवों में जाकर नयना बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं। नयना कहती हैं, ‘महिला सशक्तिकरण की शुरुआत बचपन से होती है। अगर माता पिता अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दिला दें तो फिर वह अपने लिए आर्थिक स्वावलंबन खुद तलाश लेगी। साथ ही बेटियों को ये भी सिखाना जरूरी है कि उनका कौशल ही उनका सबसे बड़ा हथियार है। बेटियों को अपना काम ईमानदारी से सीखना चाहिए। शॉर्टकट के रास्तों से दूर रहना चाहिए और अपने हुनर में तासीर पैदा करनी चाहिए कि जहां भी वे काम करें, हमेशा दमकती रहें।’
नयना मुके कहती हैं, ‘मुझे खुशी है कि मैं उस दौर में अभिनय कर रही हूं जब अभिनेत्रियों को तरह तरह के किरदार करने को मिल रहे हैं। स्त्रियों को अब सिर्फ सती सावित्री या फिर कुलटा के रूप में ही नहीं दिखाया जाता। कहानियां लिखने वाले अब वास्तविक किरदारों पर मेहनत कर रहे हैं। और, मुझे भी ऐसे किरदार करने में आनंद आता है।’
शी ब्यूटी अवार्ड्स हर साल उन महिलाओं को दिए जाते हैं जिन्होंने हमने हौसले, हिम्मत, और उत्साह से अपने आसपास के लोगों को प्रभावित किया है। इसकी कसौटी रहती है, कोशिशें, त्याग और कौशल। इन तीन कसौटियों पर कसी गई महिलाओं को एक पैनल के सामने अपनी बात रखनी होती है। तमाम दौर के परीक्षणों के बाद और धरातल पर किए कामों के आकलन के बाद ये पुरस्कार चेन्नई में दिए जाते हैं।
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