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सरकार के पास नहीं जनता के लिए पैसा, यहां बोर्ड-निगमों ने खरीदी लाखों की गाड़ियां

 राजस्थान में सितम्बर 2020 को जारी सर्कुलर में वित्तीय संसाधनों पर पड़ने वाले वाले असर को देखते हुए वाहनों के खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन राजस्थान सरकार की इस ढील का  बोर्ड-निगमों ने काफी फायदा उठाया. इस दौरान उन्हे राज्य सरकार के खाली खजाने की कोई चिंता नहीं रही. 


3 सितम्बर 2020 को जारी सर्कुलर में वित्तीय संसाधनों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए वाहनों के खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था. वहीं, दूसरी ओर सरकारी उपक्रमों कम्पनियों बोर्ड को अपरिहार्य कारणों शिथिलता आवश्यक होने संचालक मंडल से निर्णय लेने की छूट दी थी. लेकिन सरकार की इस ढील का  बोर्ड-निगमों ने काफी फायदा उठाया. इस दौरान उन्हे राज्य सरकार के खाली खजाने की कोई चिंता नहीं रही.

जनता के पैसो से वाहनों की खरीदी जारी रखी.  राज्य सरकार ने कोरोना काल में प्रदेश में संसाधनों का उचित प्रकार से उपयोग करने और कार्य कलापों के कुशल प्रबंधन के साथ करने का यह निर्णय लिया था. ठाठ की सवारी की मौज लेने के लिए सरकार की रोक के बावजूद सरकारी उपक्रमों, कम्पनियां और बोर्ड ने एक शब्द की आड़ में वाहन खरीद लिए. इसे लेकर वित्त विभाग ने नाराजगी जताई है..साथ ही वाहन खरीदने के मामले में दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम भी मांगे हैं.

वाहनों की खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद कुछ उपक्रमों, कम्पनियों, बोर्ड एवं संस्थाओं ने वाहन खरीद लिए. उपक्रमों, कंपनियों और संस्थाओं ने एक शब्द ''अपरिहार्य'' की आड़ में वाहनों की खरीद कर ली. वित्त विभाग की ओर से जारी सर्कुलर में संचालन मंडल को अपरिहार्य कारणों को देखते वस्तुओं की खरीद आवश्यक होने पर शिथिलता की छूट दी थी. इधर बिना सहमति के वाहनों की खरीद का मामला वित्त विभाग पहुंचा तो मामला प्रमुख सचिव वित्त अखिल अरोड़ा ने मामले को स्पष्ट किया. अरोडा ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों को यूओ नोट जारी किया.

इसमें स्पष्ट किया कि वाहन खरीदना अपरिहार्य कारणों की श्रेणी में नहीं आता है. साथ ही कहा कि सभी राजकीय उपक्रमों, कम्पनी, बोर्ड एवं संस्थाओं में वाहनों का क्रय पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा.वाहन की वास्तविक आवश्यकता पर वित्त विभाग की पूर्व अनुमति से ही वाहन खरीदा जाए.

विभागों के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन राजकीय उपक्रमों, कम्पनी, बोर्ड एवं संस्थाओं में यदि वित्त विभाग की सहमति के बिना वाहन खरीदे गए हैं तो प्रकरण की जाँच करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही दोषी कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर वित्त विभाग सूचना देने के लिए कहा है.

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