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Giriraj Singh: स्कूलों में जुमे की छुट्टी पर बढ़ा विवाद, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने लगाई कड़ी फटकार

बिहार के सीमांचल इलाकों में सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी दिए जाने का मामले पर विवाद गहराता जा रहा है. इसे लेकर एनडीए के भीतर वैचारिक मतभेद सामने आया है.


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में शुक्रवार के दिन सरकारी स्कूलों की साप्ताहिक छुट्टी को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिहार में शरीयत कानून लागू करने पर अमादा हैं. उनकी साजिश है कि शरिया कानून बिहार में भी स्थापित हो लेकिन उनका यह मंसूबा सफल नहीं होगा. गिरिराज सिंह के बयान की जेडीयू और राजद नेताओं ने आलोचना की है.

बिहार के सीमांचल इलाकों में सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी दिए जाने का मामले पर विवाद गहराता जा रहा है. इसे लेकर एनडीए के भीतर वैचारिक मतभेद सामने आया है. भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने मुस्लिम बहुल जिलों में उर्दू माध्यम के स्कूलों को शुक्रवार को बंद रखने और रविवार को कक्षाएं आयोजित करने पर आपत्ति जताई है. गिरिराज सिंह के बयान के बाद कई नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.


पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि गिरिराज सिंह जी डिरेल हो चुके हैं. गिरिराज सिंह भूल गए हैं कि वह केंद्र में मंत्री हैं और उनकी कुछ जिम्मेदारी है. आज तक उन्होंने अपने मंत्रालय की सफलता को लेकर कभी भी कुछ नहीं बोला. सिर्फ फालतू की बातों पर ही गिरिराज सिंह फोकस करते हैं. गिरिराज सिंह अपने बातों से समाज को जोड़ते नहीं हैं बल्कि हमेशा तोड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं.


पूर्व विधायक और आरजेडी प्रवक्ता शक्तिसिंह यादव ने कहा कि गिरिराज सिंह की बातों से तो यही लगता है कि बिहार सरकार में उनकी पूछ नहीं है. केंद्र में उनकी सरकार है, बिहार में उनकी सरकार है, तो फिर गिरिराज सिंह कार्रवाई करने की मांग किसे कर रहे हैं? गिरिराज सिंह हमेशा अपने बयानों से समाज में नफरत फैलाने की कोशिश में जुटे रहते हैं.


जेडीयू प्रवक्ता डॉ सुनील ने गिरिराज सिंह को नसीहत देते हुए कहा कि जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति को बयान देने से पहले जरूर सोचना चाहिए कि उसके बयान के क्या मायने और मतलब हो सकते हैं. जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने की कोशिश से करनी चाहिए. जब राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है कि किन परिस्थितियों में शुक्रवार को स्कूलों में छुट्टी हो रही है. तो फिर इस पर कुछ भी बोलना उचित नहीं है.


इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि, विभाग के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस मामले में बिहार और झारखंड की सरकारों को हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा एक नोटिस भी जारी किया गया है. एनसीपीसीआर ने यह जानने की कोशिश की है कि क्या इस तरह की व्यवस्था करने के लिए कोई सरकारी निर्देश जारी हुए हैं.


कई स्थानीय भाजपा नेताओं शिक्षा के साथ धर्म के मिश्रण पर सवाल उठाया. जद (यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हम राजनेताओं को हर छोटी-छोटी बातों पर तूफान नहीं उठाना चाहिए. लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि संस्कृत महाविद्यालयों में भी हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने की प्रतिपदा और अष्टमी तिथियों को छुट्टी होती है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी स्कूलों में छुट्टी को लेकर हो रही राजनीति पर नाराजगी जताई.


जीतन राम मांझी ने सवाल किया कि शुक्रवार को स्कूल बंद रहने पर लोगों के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? क्या छात्रों के अभिभावकों ने शिकायत की है? पढ़ाई प्रभावित नहीं होती है. अन्य जगहों की तरह ऐसे स्कूलों में सप्ताह में छह दिन कक्षाएं लगती हैं. और अगर शुक्रवार को इतनी ही समस्या है तो जम्मू-कश्मीर में उस दिन संस्थान क्यों बंद रहते हैं?

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