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ये है अपनी स्मार्ट सिटी! रास्तों पर कूड़े के ढेर, बेहिसाब लावारिस पशु और राहगीरों के लिए आधी सड़कें

 शहर में मोहना रोड, तिगांव रोड, 100 फुट रोड, बाईपास रोड जैसी और भी सड़कें हैं, जो शहरवासियों के लिए लाइफ लाइन मानी जाती हैं. इन प्रमुख सड़कों पर भी पिछले कई समय से लावारिस पशुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है.


स्मार्ट सिटी फरीदाबाद को और चमकाने के लिए आए दिन विधायकों, मंत्रियों और विभिन्न विभागों के आला अधिकारियों की बैठकें होती रहती हैं, लेकिन इन बैठकों के बाद जनसुविधाओं पर कितना काम हुआ, इसका हिसाब रखने वाला कोई नहीं है. ऐसे में कई बार समस्या लोगों की जान पर भारी भी पद जाती है. कुछ ऐसा ही अनुभव फरीदाबाद और बल्लभगढ़ की सड़कों से गुजरने वाले राहगीर महसूस कर रहे हैं.

बल्लभगढ़ में कूड़े से अति पड़ी सड़कें और उसमें मुंह मारते लावारिस पशु लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं. यहां न तो लावारिस पशुओं को उठाने के लिए नगर निगम की ओर से कोई गाड़ी की व्यवस्था है और न ही उन्हें रखने के लिए शहर की गोशाला में कोई जगह है. इस वजह से शहर की सड़कों पर पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है.


निगम प्रशासन में सुनवाई नहीं
लोगों की शिकायत है कि ये लावारिस  पशु या तो सड़क किनारे बैठ जाते हैं या बीचोंबीच अचानक वाहनों के सामने आ जाते हैं. ऐसे में सड़क हादसे होने की आशंका बनी रहती है.खुले आसमान के नीचे सड़क पर पड़ा कूड़ा प्रदूषण भी बढ़ाता है. नगरवासियों का आरोप है कि अनेकों बार निगम प्रशासन के अधिकारियों से शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई.


राहगीरों को मिलती है सिर्फ आधी सड़क 
शहर में मोहना रोड, तिगांव रोड, 100 फुट रोड, बाईपास रोड जैसी और भी सड़कें हैं, जो शहरवासियों के लिए लाइफ लाइन मानी जाती हैं. इन प्रमुख सड़कों पर भी पिछले कई समय से लावारिस पशुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इतना ही नहीं इन सभी रोड के किनारों पर कूड़ा कचरा पड़ा रहता है, जिससे आधी सड़क तो यूं ही ब्लॉक हो जाती है और बची सड़क पर लावारिस पशु घूमते करते हैं. लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी नाम देने या उसका ख्वाब दिखने भर से ही उनकी तकलीफ दूर नहीं होगी. लावारिस पशुओं का कोई स्थाई समाधान होना चाहिए. 


गोशाला चल रही फुल, जगह का अभाव  
वहीं सफाई निरीक्षक का कहना है कि जब भी कोई शिकायत मिलती है तो बिना किसी देरी किए उसका जल्द समाधान किया जाता है. पशुओं को पकड़वाकर विभिन्न गोशालाओं में भी भेजा गया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से गोशाला संचालक कह रहे हैं कि अब वहां जगह नहीं है, जिसकी वजह से पशुओं को काबू करने में परेशानी हो रही है.


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