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मनी लॉन्ड्रिंग केस में नवाब मलिक की जमानत अर्जी पीएमएलए कोर्ट ने की खारिज, रहना होगा सलाखों के पीछे

NCP नवाब मलिक की जमानत याचिका पीएमएलए कोर्ट ने खारिज कर दीईडी ने नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में इस साल की 23 फरवरी को गिरफ्तार किया थाइसके साथ ही नवाब मलिक पर भगोड़े आतंकी दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध रखने का भी आरोप हैए

नसीपी नेता और उद्धव सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक की जमानत याचिका पीएमएलए कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी। मनी लांड्रिंग समेत तमाम अन्य आरोपों में सलाखों के पीछे कैद नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज करते हुए पीएमएलए कोर्ट के जज ने कहा कि कुर्ला के गोवावाला कंपाउंड के मालिक मुनीरा प्लंबर का नवाब मलिक के संबंध में दिया बयान काफी अहम है। इस कारण उन्हें फिलहाल जमानत नहीं दी जा सकती है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में नवाब मलिक को इस साल 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में है। पूर्व मंत्री नवाब मलिक ईडी की न्यायिक हिरासत में जरूर हैं लेकिन फिलहाल वो जेल में नहीं हैं, चूंकि उनकी तबीयत खराब है, इस कारण फिलहाल वो मुंबई के कुर्ला स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है।

मलिक काफी लंबे समय से उस अस्पताल में भर्ती हैं। मलिक के बेल खारिज होने के संबंध में जो सूचना मिल रही है, उसके मुताबिक पीएमएलए कोर्ट के स्पेशल जज आरएन रोकड़े ने 14 नवंबर को ही दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनी थी लेकिन उन्होंने उस समय कोई फैसला न देते हुए मलिक की जमानत याचिका पर अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था।

हालांकि अदालत ने पहले ही कह दिया था कि वह 24 नवंबर को अपना आदेश सुनाएगी। लेकिन उस दिन अदालत ने यह कहते हुए मामले को 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया कि अभी नवाब मलिक की जमानत याचिका पर आदेश तैयार नहीं हुआ है। मलिक ने जुलाई में विशेष अदालत के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर की थी। एनसीपी नेता ने कोर्ट से यह कहते हुए अपने लिए जमानत की मांग की थी कि उन पर ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग का मुकदमा चलाने का कोई आधार नहीं बनता है। लिहाजा उन्हें मामले में बेल दे दी जाए।

लेकिन ईडी ने नवाब मलिक और दाऊद इब्राहिम के साथ उसके गुर्गों की कथित सांठगांठ के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज किये मामले का हवाला देते हुए जमानत का विरोध किया था। ईडी की ओर से दावा किया गया है की आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसकी दिवंगत बहन हसीना पारकर के साथ नवाब मलिक के कारोबारी रिश्ते थे और उस मामले में नवाब मलिक की बेगुनाही का कोई सवाल ही नहीं है।

नवाब मलिक के खिलाफ ईडी का मामला दर्ज करने के बाद एनआईए ने दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के साथ नवाब मलिक के संबंधों की कथित कड़ी को लेकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अलग से केस दर्ज किया था।




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