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कांग्रेस में शामिल हुए आदिवासी नेता नंद कुमार साय, क्यों छोड़ी बीजेपी ? बताई ये वजह

छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी छोड़ने का कारण भी बताया।

छत्तीसगढ़ के सीनियर आदिवासी नेता नंद कुमार साय बीजेपी को छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। साय के इस कदम को प्रदेश में बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस में शामिल होने के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का जो स्वरूप था आज वह बचा नहीं है। नंद कुमार साय तीन बार लोकसभा सदस्य और तीन बार विधायक रह चुके हैं। वे अविभाजित मध्य प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

बीजेपी का पहले वाला स्वरूप नहीं बचा-साय

कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम और राज्य के मंत्रियों की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साय ने कहा, ''भारतीय जनता पार्टी का जो स्वरूप था वह आज बचा नहीं है। मैंने अटल जी, आडवाणी जी, सुषमा स्वराज जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ काम किया है। लेकिन आज मैं भाजपा में साधारण सदस्य था। मुझे किसी दायित्व में नहीं लगाया था। मुझे दायित्व की आवश्यकता नहीं है लेकिन पार्टी काम कैसे करे, इसमें शामिल तो किया जाना चाहिए।'' 


कांग्रेस अच्छा काम कर रही है-साय

उन्होंने कहा, ''पार्टी से मुझे बहुत परेशानी नहीं है। दल से कोई दिक्कत नहीं था। दल कोई महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन सारे लोगों को मिलकर आम लोगों का काम करना चाहिए। पार्टी का यह महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए। मैंने तय किया कि भूपेश जी के नेतृत्व में कांग्रेस अच्छा काम कर रही है। यहां गरीब, पिछड़े और तमाम प्रकार के लोग हैं, उनके उत्थान का काम हो रहा है।'' 


नंद कुमार साय का राजनीतिक सफर

  1. छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके से आने वाले साय वर्षों तक भाजपा का प्रमुख आदिवासी चेहरा रहे हैं। वह पहली बार वर्ष 1977 में अविभाजित मध्य प्रदेश के तपकरा विधानसभा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 
  2. उन्हें 1980 में भाजपा ने रायगढ़ जिला इकाई प्रमुख नियुक्त किया। वह 1985 और 1998 में तपकरा विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक चुने गए। तपकरा क्षेत्र से विधायक चुने जाने के बाद भाजपा में साय का कद लगातार बढ़ता गया और वह 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ लोकसभा सीट से लोकसभा सदस्य भी रहे।
  3. बाद में पार्टी ने उन्हें 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य भी बनाया। साय 2003 से 2005 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे। नवंबर 2000 में जब मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ तब वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रथम नेता प्रतिपक्ष चुने.
  4. साय को 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को आधार देने में प्रमुख ​भूमिका निभाने वाले लखीराम अग्रवाल के करीबी रहे साय एक समय पार्टी के ‘पोस्टर बॉय’ माने जाते थे। 
  5. वर्ष 2000 में राज्य​ बनने के बाद नेता प्रतिपक्ष नियुक्त होते ही वह राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद साय राज्य की राजनीति में वापस नहीं आ सके। वह समय समय पर अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी भी जाहिर करते 
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