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UPSC Result 2022 : मुंबई की झोपड़पट्‌टी में रहने वाले मोहम्मद हुसैन बनेंगे अफसर, पास की UPSC परीक्षा

UPSC Result 2022 : कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो... यह बात मुंबई की झोपड़पट्‌टी में रहने वाले मोहम्मद हुसैन पर बिल्कुल फिट बैठती है. तमाम तरह की मुश्किलों और और बाधाओं को पार कर हुसैन ने यूपीएससी परीक्षा क्रैक कर ली है.

UPSC Result 2022 : सोलापुर स्ट्रीट मुंबई के वाडी बंदर क्षेत्र की कई धूल भरी गलियों में से एक है. यह पास के ही मझगांव डॉकयार्ड पर उतरने वाले सामानों के गोदामों से सजी हुई है. इस गली में छोटी-छोटी झुग्गियां भी हैं, जिनमें ज्यादातर डॉकयार्ड वर्कर रहते हैं. इनमें से एक घर डॉकयार्ड पर लेबर सुपरवाइजर का काम करने वाले रमजान सैयद का भी है. मंगलवार को उनके घर का माहौल उल्लास और उत्साह से सराबोर था. दरअसल, उनके सबसे छोटे बेटे मोहम्मद हुसैन ने यूपीएएसी सिविल सेवा परीक्षा 2022 पास कर ली थी.

यूपीएससी 2022 रिजल्ट से खुशी तो देश के 933 नौजवानों और उनके परिजनों को मिली. लेकिन मोहम्मद हुसैन की उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने इस मंजिल तक पहुंचने के दौरान कई कठिन सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना किया
पांचवें प्रयास में पाई कामयाबी
मोहम्मद हुसैन ने खराब आर्थिक स्थिति के साथ जगह की कमी, घर में पढ़ाई के अनुकूल माहौल न होने और सिविल सेवा परीक्षा के संबंध में शुरुआत में बहुत कम जानकारी और जरूरी मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी का भी सामना किया. इन सब चुनौतियों को पार करते हुए 27 वर्षीय मोहम्मद पांचवें प्रयास में ऑल इंडिया 570 रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास करने में कामयाब रहे
हुसैन को परीक्षा दिलाने ले जाते थे पिता
मोहम्मद हुसैन बताते हैं कि उनके मन में आईएएस बनने के ख्वाब ने पहली बार तब जन्म लिया था जब वह पिता के साथ किसी काम से सरकारी कार्यालय में गए थे. उन्होंने कहा, मेरी इस यात्रा के दौरान मेरे परिवार ने हमेशा साथ दिया. यहां तक की घरेलू समस्याओं से भी दूर रखने की कोशिश की ताकि मेरा ध्यान न भटके. हुसैन जब भी परीक्षा देने जाते थे तो उनके पिता भी साथ जाते थे. वाडी बंदर की झुग्गियों में रहने वाले मोहम्मद हुसैन के साथ उनकी नानी, माता-पिता, बड़े भाई और उनकी पत्नियां व बच्चे रहते हैं.

पढ़े-लिखे नहीं हैं हुसैन के पिता

मोहम्मद हुसैन के दादा सरकारी सेवा में थे. लेकिन उनके पिता कभी स्कूल नहीं गए हैं. उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत डॉकयार्ड में ट्रकों से सामान उतारने और लादने वाले मजदूर के रूप में की थी. धीरे-धीरे वह लेबर सुपरवाइजर बने. उनके भाई भी डॉक में काम करते थे.

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