दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक घर में मां और दो बेटियों के शव मिले हैं. पुलिस इसे सामूहिक आत्महत्या का मामला मान रही है.
राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक महिला मंजू श्रीवास्तव और उनकी दो बेटियों अंकु और अंशी के उन्हीं के घर में शव मिले हैं. मौके से मिले सुसाइड नोट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया पुलिस इसे सामूहिक आत्महत्या का मामला मान रही है. वहीं इनके घर में काम करने वाली महिला और आस पास रहने वाले लोगों कई बातें बताई हैं.
वसंत विहार इलाके के अपार्टमेंट नंबर 207 में तीनों के शव मिले. मकान के सामने कपड़ा प्रेस करने वाले मनिलाल का कहना है कि ये लोग किसी से बात नहीं करते थे और ना ही कभी बाहर निकलते थे. वहीं इनके घर में काम करने वाली कमला का कहना है कि मेरी छोटी लड़की अंशी से बात होती थी. ये कभी-कभी हमें काम करने लिए बुलाते थे. परसो हमारे पास छोटी बेटी अंशी का फोन आया था और उसने कहा था कि किराना वाले को बोल दीजिएगा कि परसों यानी शनिवार को हम खुद पैसे दे देंगे, दुकान वाले से बोल दीजिए कि पैसे लेने घर ना आए.
इस तरह हुआ मामले का खुलासा
कमला ने बताया कि जब शनिवार को किरानावाला पैसे लेने जाता है तो अंदर से कोई आवाज नहीं आती. जब किरानेवाले ने ये बात कमला को बताई तब शाम के करीब 7 बजे के आसपास कमला ने बेटे को उनके घर भेज कर चेक करवाया. जब कोई हलचल नहीं सुनाई दी तो कमला ने खुद आकर चेक किया और पुलिस को सूचना दी.
कुत्ते बिल्ली को दूध देने के लिए ही खुलता था घर का दरवाजा
कमला ने बताया कि मंजू श्रीवास्तव 12-13 साल से बेड पर हैं. 2021 में कोरोना के कारण उनके पति उमेश श्रीवास्तव की मौत हो गई थी. ये लोग परेशान तो रहते थे, लेकिन ये नहीं था कि ये लोग भूखे मर रहे हों. जब पैसे की जरूरत होती थी तब मैं सब लाकर देती थी. मेरी छोटी लड़की अंशी से बात होती थी. अंशी कुत्ते बिल्ली को हल्का सा दरवाजा खोलकर दूध पिलाती थी, और तभी इस घर का दरवाजा खुलता था. बाकी पूरे समय दरवाजा बंद रहता था.
क्या कहना है पुलिस का?
पुलिस व फोरेंसिक विभाग सूत्रों के अनुसार इस घटना में मारे गए लोगों ने खुदकुशी के लिए रौंगटे खड़े करने वाले तरीके को इस्तेमाल किया. घर को एक गैस चैम्बर में तब्दील किया गया, ताकि कार्बन मोनोऑक्साइड पैदा हो और इसी जहरीली गैस की घुटन से तीनों की मौत हो गयी. पुलिस का कहना है कि अब तक की जांच में एक बात और सामने आई है वो ये कि इस परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी और ऊपर से ये लोग अकेलेपन का शिकार थे, जिसकी वजह से अवसाद में आकर इन्होंने ये कदम उठाया.
घर के अंदर भरा हुआ था धुआं
जब पुलिस घर में घुसी तो अंदर धुआं भरा हुआ था. पुलिस अंदर वाले कमरे में पहुंची तो बेड पर मां और दोनों बेटियों के शव पड़े हुए थे. फ्लैट के सभी खिड़की दरवाजे अंदर से बन्द थे. गैस सिलिंडर भी थोड़ा खुला हुआ था. तीन छोटी अंगीठियां भी मिली. माना जा रहा है कि तीनों की मौत दम घुटने से हुई है. सुसाइड नोट भी मिले हैं. मंजू लंबे समय से बीमार चल रही थीं और बिस्तर से हिल डुल नहीं सकतीं थी. इस घर के मालिक, अंशिका और अंकु के पिता उमेश चंद्र श्रीवास्तव की 2021 में कोरोना से मौत हो गयी थी. जिसके बाद से पूरा परिवार डिप्रेशन में था. शुरुआती जांच में मामला सुसाइड का लग रहा है. घर की दीवारों पर सुसाइड नोट भी चिपके मिले हैं. घर के दरवाजे खिड़की फॉयल और टेप से सील बन्द कर दिए गए थे ताकि धुआं जरा भी बाहर न जा सके.