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देश को हिला देने वाला निठारी कांड मामले में सीबीआई कोर्ट की विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को फंसी की सजा सुनाई है। साथ ही इस मामले के आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर को देह व्यापार के धंधे में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा सुनाई गई है। इसके पहले भी सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है। दोनों ही आरोपी डासना जेल में कई मामलो में पहले से ही सजा काट रहे हैं।
सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में मौत की सजा और तीन मामलों में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। अभी तक सिर्फ एक मामले में राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज होने के बाद मेरठ में फांसी दी जानी थी, लेकिन देरी होने से सुप्रीम कोर्ट ने फांसी निरस्त कर दी थी। एक मामले में हाईकोर्ट ने फांसी में देरी मानते हुए आजीवन कारावास में बदल दिया था। सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा होने के बाद इस समय अधिकांश मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं।
मोनिंदर सिंह पंधेर के अधिवक्ता देवराज सिंह ने बताया कि निठारी कांड के 16वें मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट के न्यायाधीश राकेश कुमार त्रिपाठी को कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को अपहरण, दुष्कर्म, हत्या और साक्ष्य छिपाने के मामले में दोषी करार दिया।
साल 2006 में निठारी गांव की एक लड़की को नौकरी दिलाने के लिए पंधेर ने बुलाया, बाद वे घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने उसकी गुमशुदगी का केस दर्ज कराया। पुलिस ने पड़ताल कि तो मोनिंदर सिंह की कोठी नंबर डी-5 से नरकंकाल मिला था। वहीं, कोठी के पास नाले से बच्चों के अवशेष बरामद किए गए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंधेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था।
केस गाजिबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट में चल रहा है। निठारी कांड का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। चर्चाओं में आने के बाद यह पूरा मामला देशभर के लोगों के बीच फैल गया। यहां से मानव शरीर के हिस्सों के पैकेट मिले थे। नरकंकालों को नाले में फेंका गया था। उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली डी-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था। परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों कोठी में रह रहते थे और घटना को अंजाम देते थे।