यूपी में एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जिला अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते एक बुजुर्ग ने बेटे की गोद में ही दम तोड़ दिया।
इलाज मिलने के इंतजार में बुजुर्ग पिता को गोद में लेकर बेटा बैठा रहा, लेकिन किसी ने भी हाथ लगाने की जहमत नहीं उठाई। बेटे का आरोप है कि गोद में ही पिता के दम तोड़ देने के बाद इमर्जेंसी में अंदर लेकर ऑक्सीजन लगा दिया गया। कुछ देर बाद घर ले जाने का फरमान सुना दिया। सबसे हैरानी की बात तो यह रही कि इमर्जेंसी में से शव बाहर लाने के लिए स्ट्रेचर भी मुहैया नहीं कराई गई। गोद में पिता का शव लेकर बेटे ने प्राइवेट गाड़ी में लादा। बेटे ने सीएम से मामले की शिकायत करने की बात कही है।
मामला बुधवार दोपहर करीब दो बजे का है। मोतीगंज थाना क्षेत्र के पिपरा भिटौरा गांव निवासी सोहन लाल अपने पिता बुजुर्ग राम उदित को सांस लेने की समस्या पर जिला अस्पताल की इमर्जेंसी लेकर आते हैं। सोहनलाल का आरोप है कि इमर्जेंसी में भीड़ होने के कारण उन्हें बाहर बरामदे में बैठा दिया जाता है और नंबर आने पर अंदर आने को कहा जाता है। वह बाहर अपने बुजुर्ग पिता को लेकर आधे घंटे से अधिक समय तक बैठे रहते हैं लेकिन कोई अंदर नहीं बुलाता।
पिता के शरीर में कोई हरकत न होने और सिर लटक जाने पर जब वह उन्हें लेकर इमर्जेंसी में अंदर जाते हैं तो दम तोड़ देने के बाद भी आक्सीजन लगा दिया जाता है और कुछ देर बाद मौत हो जाना बताकर शव घर ले जाने का फरमान सुना दिया जाता है।
गोद में शव लेकर ढूंढता रहा गाड़ी : अस्पताल में मौत होने पर शव घर ले जाने के लिए चार शव वाहन मौजूद है। जिसमें दो सीएमओ के यहां से उपलब्ध कराए गए हैं और दो अस्पताल के हैं। इसके बावजूद भी शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। बेटा शव को गोद में उठाकर प्राइवेट वाहन तक पहुंचा और फिर उसपर लादकर ले गया।
प्रमुख चिकित्साधीक्षक डॉ. इंदुबाला का कहना है कि इमर्जेंसी में मरीज अटैंड न करना गंभीर बात है। किसकी ड्यूटी थी इसका पता लगाया जाएगा। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। रही बात शव वाहन न मिलने की तो इमर्जेंसी में तीमारदारों को शव वाहन के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए थी। अब तक किसी ने भी इस मामले की शिकायत नहीं की है। शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।