भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) ने 16 सितंबर को ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था.
दिल्ली की अदालत ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान को जमानत दे दी है. इससे पहले मंगलवार (27 सितंबर) को विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (किसी सरकारी सेवक या बैंक, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वास भंग) के लिए सभी सामग्री गायब है और अभियोजन ने ‘‘अपनी मर्जी से वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष (खान) को निशाना बनाया.’’
मेहरा ने यह भी कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया और ये आरोप प्रक्रियागत खामी है. उन्होंने कहा कि ‘‘निधि का कोई दुरुपयोग नहीं’’ हुआ और न ही प्रथम दृष्टया इसका कोई सबूत है. निधि के कथित दुरुपयोग के संबंध में वकील ने कहा कि ‘‘एक-एक पैसे का हिसाब रखा गया.’’
अमानतुल्लाह खान पर क्या है आरोप?
इन दलीलों का विरोध करते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि अभी यह मामला जमानत देने के स्तर पर नहीं पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा कि खान ने एजेंसी से झूठ बोला था कि उनका मोबाइल फोन खो गया है.
न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि खान द्वारा निधि का कथित तौर पर दुरुपयोग करने से सरकारी खजाने को कैसे नुकसान हुआ और साथ ही उन्होंने यह पूछा कि अगर नुकसान हुआ तो कितने का हुआ.
इस बीच, अदालत ने खान के कथित सहायक और सह-आरोपी लड्डन को दो दिन की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) की हिरासत में भेज दिया है.
इससे पहले अदालत ने सोमवार को आप विधायक अमानतुल्लाह खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. एसीबी ने 16 सितंबर को खान के परिसरों पर छापे मारने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था.
प्राथमिकी के अनुसार, खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहने के दौरान कथित तौर पर सभी मानदंडों और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके 32 लोगों को भर्ती किया था.