कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध (Karnataka Hijab Ban) पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच के विभाजित फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उसे CJI के पास भेज दिया, ताकि मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सके और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील सुनी जा सके. इससे पहले अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुधांशु धुलिया ने मुस्लिम छात्राओं का पक्ष लिया.
मामले की सुनवाई कर रहे दूसरे जज जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी. उच्च न्यायालय के फैसले पर सहमति जताते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा, "मतभेद हैं."
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि इस मामले में हमारी राय अलग हैं. मेरे 11 सवाल हैं - पहला सवाल यह है कि क्या इसे बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए? क्या हिजाब बैन ने छात्राओं को बाधित किया है? क्या हिजाब पहनना धर्म का अनिवार्य हिस्सा है? क्या हिजाब पहनना धार्मिक स्वतंत्रता के तहत है? जस्टिस गुप्ता ने कहा, 'मैं अपील खारिज करने का प्रस्ताव कर रहा हूं.'
जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा: "मेरा एक अलग विचार है और मैं अपील की अनुमति देता हूं." उन्होंने कहा, हिजाब पसंद का मामला होना चाहिए था. न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, "यह अंततः पसंद का मामला है, इससे ज्यादा कुछ नहीं, और कुछ नहीं."उन्होंने कहा, "मेरे दिमाग में सबसे ऊपर बालिकाओं की शिक्षा है. एक चीज जो मेरे लिए सबसे ऊपर है, वह है बालिकाओं की शिक्षा.. मैं अपने भाई जज से सम्मानपूर्वक असहमत हूं."
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने जोर देकर कहा कि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से रोकने से उनकी शिक्षा को खतरा होगा क्योंकि वे कक्षाओं में जाना बंद कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों के बीच मतभेद के बाद हिजाब की लड़ाई अब और लंबी हो गई है. अब बड़ी बेंच मामले की सुनवाई करेगी. नई बेंच फिर से नए सिरे से हिजाब पर सुनवाई करेगी क्योंकि बड़ी बेंच में अलग जज होंगे. CJI तय करेंगे कि कौन सी बेंच कब सुनवाई करेगी.
Ye sab Anti muslim ho chuke hai
ReplyDelete