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आरोपी के पिता समेत छह आरोपी 7 जून तक न्यायिक हिरासत में, पुलिस ने एफआईआर में जोड़ी नई धाराएं

आरोपी के पिता समेत छह आरोपी 7 जून तक न्यायिक हिरासत में, पुलिस ने एफआईआर में जोड़ी नई धाराएं


एक विशेष अदालत ने कार दुर्घटना मामले में छह आरोपियों को 7 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। हिरासत में भेजे गए लोगों में आरोपी नाबालिग के पिता भी हैं। पुणे पुलिस ने इस मामले की एफआईआर में आरोपी के पिता, बार के मालिक और मैनेजर के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और महाराष्ट्र प्रतिबंधित कानून की धारा 65 (ई) और 18 को भी जोड़ दिया है।

इस मामले में पुलिस जांच पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच एक अधिकारी ने बताया कि नाबालिग आरोपी के खिलाफ खून की रिपोर्ट के अलावा और भी कई सबूत हैं। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक की जांच में ये बात भी निकलकर सामने आ रही है कि आरोपी के पिता ने इस दुर्घटना के बाद अपने बेटे की जगह ड्राइवर बदलने की कोशिश की थी।

हमारे पास सीसीटीवी फुटेज 
पुणे सीपी अमितेश कुमार ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, 'हमारे पास सीसीटीवी फुटेज हैं, जिसमें नाबालिग शराब पीता हुआ दिख रहा है। मैं यह कहना चाहता हूं कि इस मामले में हमारे पास सिर्फ रक्त रिपोर्ट ही नहीं बल्कि और भी कई सबूत हैं। नाबालिग अपने होश में था। ऐसा नहीं था कि वह लोग इतने नशे में थे कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि उनके आचरण के कारण धारा 304 कैब जैसी घटना हो सकती है। थाने में पिज्जा पार्टी के मामले में कोई सबूत नहीं है।' 

ड्राइवर के बयान की हो रही जांच
कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह सच है कि शुरुआत में ड्राइवर ने कहा था कि वह कार चला रहा है। हम जांच कर रहे हैं कि ड्राइवर ने यह बयान किसके दबाव में दिया था। उस दौरान ड्राइवर बदलने का प्रयास भी किया गया। हम इसकी भी जांच कर रहे हैं। पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन खबरों का भी खंडन किया जिसके तहत कहा जा रहा है कि कार को ड्राइवर चला रहा था।'

अब तक जांच में कुछ भी नहीं मिला
उन्होंने आगे कहा, 'आरोपियों को तरजीह देने के आरोपों पर अब तक जांच में कुछ भी नहीं मिला है। अगर हमें कोई सूचना मिलती है कि चश्मदीद गवाह को किसी परेशानी का सामना करना पड़ा है, तो उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। हमें अभी तक खून की रिपोर्ट नहीं मिली है। हमने फोरेंसिक से दोनों नमूनों का डीएनए नमूना लेने का अनुरोध किया है।'

पीड़ितों को न्याय मिलेगा 
अमितेश कुमार ने कहा, 'हम दोनों मामलों की बारीकी से और पूरी संवेदनशीलता के साथ जांच कर रहे हैं। हम एक निर्विवाद मामला बना रहे हैं। नाबालिग को किसी भी तरह के तरजीह देने के आरोपों पर एसीपी रैंक के एक अधिकारी के खिलाफ जांच चल रही है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा और आरोपी को सजा मिलेगी। हमने मामले में विशेष वकील नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि अदालत में मामले में हमारा पक्ष मजबूती से रखा जाए। पुलिस इस मामले को संभालने के लिए सख्त कदम उठा रही है।'

वयस्क जैसा व्यवहार करने का आग्रह 
उन्होंने कहा, 'घटना के बाद प्रथम दृष्टया 304 ए मामला दर्ज किया गया था। बाद में धारा 304 जोड़ी गई। उसी दिन हमने उसे किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया और उनसे इसे जघन्य अपराध मानने और आरोपी के साथ वयस्क जैसा व्यवहार करने का आग्रह किया। जब तक एक वयस्क पर विचार करने का आदेश पारित नहीं हो जाता, हम आरोपी को रिमांड निरीक्षण गृह में रखना चाहते थे। हमारे दोनों आवेदन उसी दिन खारिज कर दिए गए थे। किशोर न्याय अधिनियम के तहत, हमने उसके माता-पिता और पब मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया।'

यह है मामला
पुणे शहर में 18-19 मई की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था।
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