मुंबई- रेजिडेंट डॉक्टरों ने गुमनाम शिकायत सुविधा की मांग की
रेजिडेंट डॉक्टरों ने मांग की है कि मेडिकल कॉलेजों को गूगल एप्लीकेशन या मेल के जरिए शिकायत की सुविधा देनी चाहिए, ताकि दबाव में रहने वाले डॉक्टर गुमनाम रूप से अपनी समस्याएं और शिकायतें बता सकें।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि डॉक्टरों के बीच बातचीत, उनकी भाषा और व्यवहार अक्सर विवादों का कारण बनते हैं। (Mumbai Resident doctors demand an anonymous complaint facility)
कोलकाता में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए केईएम अस्पताल ने हाल ही में 'डॉक्टरों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा' पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इसमें विशेषज्ञों ने रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमलों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर मार्गदर्शन दिया।
साथ ही उपस्थित रेजिडेंट डॉक्टरों ने सीधे तौर पर अपनी समस्याओं को प्रस्तुत किया। इस सेमिनार में प्रख्यात मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी और अधिवक्ता पर्सिस सिधवा, केईएम अस्पताल की संस्थापक डॉ. संगीता रावत, शैक्षणिक निदेशक डॉ. हरीश पाठक और अन्य मौजूद थे।
अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों की भाषा और उनके व्यवहार और बातचीत को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने चिंता जताई। ग्रामीण और शहरी विवाद के कारण डॉक्टरों के बीच आपसी संवाद में बाधाएं पैदा होती हैं। साथ ही डॉक्टर ने कहा कि 'सर' शब्द के इस्तेमाल को अनावश्यक महत्व दिए जाने के कारण अस्पताल में अक्सर सीनियर्स द्वारा 'रैगिंग' की जाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को कम करने के लिए प्रोफेसरों का हस्तक्षेप जरूरी है। मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने डॉक्टरों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया।
जब उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों से पूछा कि क्या उन्होंने कभी खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचा है या मनोवैज्ञानिक सहायता मांगी है, तो ज्यादातर छात्रों ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक खुली चर्चा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि केईएम अस्पताल के संस्थापक डॉ. संगीत रावत द्वारा रेजिडेंट डॉक्टरों की काउंसलिंग के लिए शुरू की गई सेवा से कई लोगों को लाभ नहीं मिला है।