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अडानी के खिलाफ होगा पहला ऐक्शन, उद्धव ठाकरे बोले- जो दिया है सब वापस लेंगे

अडानी के खिलाफ होगा पहला ऐक्शन, उद्धव ठाकरे बोले- जो दिया है सब वापस लेंगे


शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कारोबारी गौतम अडानी को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है। एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से अडानी के समर्थन में लिए गए सभी फैसलों को वापस लिया जाएगा।

साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर बालासाहब ठाकरे के नाम पर वोट मांगने के भी आरोप लगाए हैं। राज्य में 20 नवंबर को मतदान होना है। वहीं, 23 नवंबर को मतगणना होगी।


रविवार को उन्होंने आरोप लगाए हैं कि महायुति यानी भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मिलकर अडानी की सुल्तानी लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि मुंबई में अडानी समूह को जो भी दिया है वह पहली कैबिनेट मीटिंग में वापस ले लिए जाएंगे। ठाकरे ने कहा कि सत्ता में आने पर महा विकास आघाडी विश्व आर्थिक मंच (WEF) और एमएमआरडीए के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को रद्द कर देगा, क्योंकि इसका उद्देश्य बीएमसी के महत्व को कम करना है।


मुंबई के बीकेसी मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि अगर एमएमआरडीए (मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण) बीएमसी के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करता है तो वह एमएमआरडीए को भंग करने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, 'मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश महज चर्चा नहीं है, बल्कि एक गंभीर संकट है। यह साजिश वास्तविक है, लेकिन हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे।'


ठाकरे ने कहा कि अगर 23 नवंबर को महायुति जीत गई, तो गुजरात में पटाखे फोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा, 'एमवीए की पहली कैबिनेट मीटिंग में, अडानी को दी गई सभी चीजें वापस ली जाएंगी। धाराविकरों को उनके घरों और उद्योगों के साथ दोबारा धारावी में बसाया जाएगा।' उन्होंने कहा, 'यह सरकार मुंबई की जीडीपी बढ़ाना चाहती है। नीति आयोग के पास सुझाव भी हैं। मुंबई को यूटी में नहीं बदलने दे सकते। BMC चुनाव तक नहीं हुए हैं...। इस सरकार के दोस्त मुंबई को लूट रहे हैं।'


ठाकरे ने कहा कि एमएमआरडीए और डब्ल्यूईएफ ने एमएमआर को वैश्विक आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सितंबर में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि एमएमआर विकास पर नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। ठाकरे ने कहा कि एमवीए-नीत सरकार का पहला फैसला महायुति सरकार की नीतियों को खत्म करना होगा, जिसने मुंबई की जमीन अडाणी समूह को सौंप दी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 'विकास-विरोधी नहीं बल्कि विनाश-विरोधी हैं।'


ठाकरे ने दावा किया कि उनके नेतृत्व वाली एमवीए सरकार (जून 2022 में) गिरा दी गई और शिवसेना विभाजित हो गई, क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र को लूटने की अनुमति नहीं दी थी।


ठाकरे ने कहा कि भाजपा को गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनानी पड़ी, जिन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था और महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मांगना पड़ा, जिसे उन्होंने 'समय का बदला' बताया।


'एक हैं तो सेफ हैं' नारे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए ठाकरे ने कहा कि अगर मोदी के रहते लोग असुरक्षित महसूस करते हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, 'मोदी के रहते केवल भ्रष्ट और देशद्रोही ही सुरक्षित महसूस करते हैं।' ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र गंभीर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि 'हवाई अड्डे, बंदरगाह, बिजली, खदानें और स्कूल अडानी को सौंपे जा रहे हैं।'


ठाकरे ने अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए शिवसेना के समर्थन और उत्पीड़न से भागे कश्मीरी पंडितों को बाल ठाकरे द्वारा शरण दिए जाने को याद किया। उन्होंने कहा, 'उस समय अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को दुनिया नहीं जानती थी।'

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