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अस्‍पताल में 20 साल तक सब पीते रहे टॉयलेट का पानी, किसी को नहीं चला पता

 एक अस्पताल में पानी की लाइनें गलती से यूरिन की लाइनों से जुड़ गईं. इसके चलते उस अस्पताल में आने वाले लोग करीब 20 सालों तक यूरिन वाला पानी (Toilet Water) पीते रहे.


जापान (Japan) में एक अस्पताल में पानी की लाइनें गलती से यूरिन की लाइनों से जुड़ गईं. इसके चलते करीब 20 सालों तक लोग यूरिन वाला पानी (Toilet Water) पीते रहे. जब लोगों को इस बात का पता चला तो वे हैरान रह गए.

1993 में हुआ अस्पताल का निर्माण

सहयोगी वेबसाइट Wion के मुताबिक जापानी न्यूज आउटलेट Yomiuri Shimbun ने इस बारे में रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट के मुताबिक Osaka University के मेडिसिन विभाग ने वर्ष 1993 में अस्पताल का निर्माण किया था. अस्पताल को पानी की सप्लाई करने के लिए पास के एक कुएं से कनेक्ट किया गया. अस्पताल के निर्माण के दौरान कुएं से निकले पानी को 120 टोंटियों के जरिए विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाया गया.

पीने की लाइन से जुड़ गया टॉयलेट वाटर

रिपोर्ट के अनुसार पानी (Drinking Water) की कनेक्टिंग लाइन जोड़ने के दौरान प्लंबरों की गलती से यूरिन की लाइन ड्रिंकिंग लाइन के साथ अटैच हो गईं. इसके चलते लोग वर्षों तक यूरिन वाला पानी (Toilet Water) पीते रहे. इसके साथ ही उसी गंदे पानी का इस्तेमाल हाथ धोने, गरारे करने और नहाने के लिए भी करते रहे. शुरू में लोगों को पानी का टेस्ट अजीब सा लगा. उन्होंने सोचा कि शायद कुएं के पानी का स्वाद ही ऐसा है. इसलिए उन्होंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया

वर्ष 2014 में पकड़ में आई गडबड़ी 

वर्ष 2014 में अस्पताल प्रशासन परिसर के अंदर एक नए डायग्नोसिस एंड ट्रीटमेंट फैसिलिटी सेंटर का निर्माण करवा रहा था. उस दौरान जब मैनेजमेंट की टीम ने पानी सप्लाई के लिए अस्पताल परिसर की बिल्डिंग का इंस्पेक्शन किया तो उन्हें पता चला कि यूरिन निकासी वाले कई पाइप (Toilet Water) गलती से पीने वाली लाइन (Drinking Water) में जुड़े हुए थे. यह गलती पकड़ में आते ही अस्पताल प्रशासन को यह बात समझ में आ गई कि ड्रिंकिंग वाटर का टेस्ट हमेशा खराब क्यों आता था. जबकि पास की बिल्डिंगों में सप्लाई होने वाला पानी मीठा था.

अस्पताल परिसर में बनवाई गई लैब

इस गलती के पकड़ में आते ही अस्पताल बिल्डिंग के पुराने पाइपों की मरम्मत करवाकर उन्हें पीने की लाइनों (Drinking Water) से अलग किया गया. इसके साथ ही यूनिवर्सिटी की सभी बिल्डिंगों में पीने के पानी की टेस्टिंग, कलर और स्मैल चेक करने के लिए नई लैब बनाई गई. यह लैब हफ्ते में एक बार सभी बिल्डिंगों का पानी नियमित रूप से चेक करती है

किसी को नहीं हुई हेल्थ प्रॉब्लम'

इस घटना को हालांकि 8 साल गुजर चुके हैं लेकिन यह बात अब तक दबी हुई थी. जापानी न्यूज आउटलेट Yomiuri Shimbun की रिपोर्ट में सारा माजरा प्रकाशित होने के बाद इतने सालों बाद अब यह घटना दुनिया के सामने आई है. जिसे जानकर लोग हैरान हैं. वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन का दावा है कि पानी (Drinking Water) के पाइप गलत लिंक हो जाने के बावजूद किसी व्यक्ति में स्वास्थ्य संबंधी कोई बड़ी समस्या कभी सामने नहीं आई.

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