CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए सरकार एक अध्यादेश लाई है.
जस्टिस एलएन राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल विस्तार से जुड़े मामले में निर्णय दिया था, जिसमें अदालत ने कहा कि "एक्सटेंशन (कार्यकाल विस्तार) केवल असाधारण परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए."प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया के तौर पर उनका दो साल का कार्यकाल अगले हफ्ते 17 नवंबर को खत्म होगा.
अध्यादेश के अनुसार, बशर्ते कि जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करता है, जनहित में, सेक्शन (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर और लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले वजहों के साथ एक समय पर उसका कार्यकाल एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. हालांकि पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद किसी भी तरह से उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है. उनका दो साल का कार्यकाल 17 नवंबर को खत्म हो रहा है.
सरकार की ओर से ये अध्यादेश ऐसे वक्त लाए गए हैं, जब विपक्षी दलों की ओर से लगातार केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया जा रहा है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के जरिये उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. हालांकि सरकार का कहना है कि एजेंसियों के काम में उसका कोई दखल नहीं है और वे अपना काम कानून और नियमों के मुताबिक ही कर रही हैं
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