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नई सोच नई पहल: पगड़ी बांध बेटी ने जब दिया पिता की अर्थी को कंधा, लोग रो-रोकर बोले- बेटी हो तो ऐसी

 बदलते वक्त के साथ अब पीढ़ियों से चली आ रही पुरातन परंपराओं में भी बड़ा बदलाव आया है और समाज अब बेटियों को भी बेटों के बराबर समझने लगा है.


बदलते वक्त के साथ अब पीढ़ियों से चली आ रही पुरातन परंपराओं में भी बड़ा बदलाव आया है. समाज अब बेटियों को भी बेटों के बराबर समझने लगा है. ऐसा ही एक सामाजिक बदलाव राजस्थान के भीलवाड़ा में देखने को मिला. यहां एक पिता की मौत के बाद समाज ने पुत्री के सिर पर पगड़ी बांधकर परिवार की जिम्मेदारी सौंपी.

कैलाशी शिवानी भरावा ने बताया कि भीलवाड़ा में भवानी नगर क्षेत्र निवासी (65) वर्षीय दुर्गाशंकर भरावा का सड़क दुर्घटना में गत दिनों निधन हो गया था. दुर्गाशंकर के बेटा नहीं था. वे अपनी तीन पुत्रियों को ही पुत्र के समान समझते थे. पायल, सोनू, पूनम ने भी अपने पिता को पुत्र की कमी महसूस नहीं होने दी. पिता की मृत्यु के बाद पुत्रियों ने ही अपने पिता को कंधा दिया, अंतिम संस्कार की रस्म निभाई. वहीं 12 वे के दिन परिवार और रिश्तेदारों की मौजूदगी ने दुर्गा शंकर की बड़ी पुत्री पायल को पगड़ी बंधवा कर रस्म निभाई गई. इस दौरान बड़ी संख्या ने समाजजन मौजूद थे.

दुर्गा शंकर की बेटी पूनम ने कहा कि पिता के जाने के बाद जो रीति रिवाज बेटा पूरा करता वो हम तीनो बहनों ने पूरे किया है. सामाजिक सहमति और धार्मिक रीति रिवाज के साथ तीनों बहनों ने सहमति से पिता का ओहदा बड़ी बहन को पगड़ी पीना कर सौंपा है. वहीं शिवानी ने कहा कि बड़े ताऊजी के निधन के बाद परिवार ने सर्व सहमति से उनकी बड़ी बेटी पायल को पगड़ी बंधवाई है. दोनों बहनों ने भी सहमति दी है. साथ ही पूरे परिवार के साथ ही समाज के प्रबुद्धजन की मौजूदगी में पगड़ी पहनावे की रस्म पूरी की गई.

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