कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में इन दिनों हिजाब को लेकर विवाद मचा हुआ है। कर्नाटक में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां कॉलेजों में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनकर आने पर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी जिले के एक और कॉलेज से ऐसा ही मामला सामने आया। बिंदूर के पीयू कॉलेज में छात्राओं को हिजाब पहनकर जाने से रोका गया।
इस दौरान करीब 300 छात्र भी केसरिया सॉल पहनकर पहुंच गए और प्रदर्शन करने लगे। इसके बाद छात्रों को शॉल उतारने और कक्षा में जाने का आदेश दिया गया। हिंदू छात्र मांग कर रहे थे कि संस्थान सभी के लिए यूनिफॉर्म जरूरी करे। इस बीच भंडारकर कॉलेज और कुंडापुर जूनियर कॉलेज में भी विवाद जारी है।
दरअसल, उडुपी जिले के ही कुंडापुर में स्थित सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में गुरुवार को हिजाब पहनकर आईं मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज के प्राचार्य ने गेट पर ही रोक लिया। प्राचार्य ने छात्रों से कहा कि उन्हें कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है और उन्हें हिजाब उतारकर कक्षाओं में जाने को कहा। इसी कॉलेज में बुधवार को उस समय गंभीर स्थिति देखी गई थी जब कक्षाओं के अंदर छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में लगभग 100 हिंदू छात्र भगवा चोला पहनकर कक्षाओं में आ गए थे। हालांकि, उन्होंने गुरुवार को अपना विरोध प्रकट नहीं किया।
कुंडापुर के विधायक एच. श्रीनिवास शेट्टी द्वारा बुधवार को मुस्लिम लड़कियों और उनके माता-पिता के साथ बुलाई गई बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई थी और माता-पिता ने जोर देकर कहा कि उनके बच्चों को हिजाब पहनने का अधिकार है।
इस बीच, राज्य के मत्स्य पालन मंत्री और उडुपी के जिला प्रभारी एस अंगारा ने उडुपी में संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब को प्रतिबंधित करने का आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए नियुक्त समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती। उन्होंने कहा, 'सभी को शिक्षण संस्थानों में निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करना होगा। अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग ड्रेस कोड नहीं हो सकते।'
बता दें कि उडुपी के पीयू कॉलेज में हिजाब को लेकर विवाद जनवरी की शुरुआत में तब शुरू हुआ, जब छह छात्राएं ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए कक्षा में हिजाब पहनकर पहुंचीं। कॉलेज प्रबंधन ने छात्राओं को परिसर में हिजाब पहनने की अनुमति दी थी, लेकिन कक्षाओं के अंदर नहीं। निर्देशों का उल्लंघन करने वाली छात्राओं को कक्षा के अंदर नहीं जाने दिया गया। छात्राओं ने करीब एक महीने तक कक्षा के बाहर बैठकर अपना विरोध जारी रखा था।